थैंक यू टीचर
थैंक यू टीचर


जीवन के इस घने जंगल में
मात्र कटीली झाड़ियां और उलझी हुयी पगडंडीयां
जब दूर -दूर तक दृष्टिगोचर होती रही,
तब मन की व्यथा को कोई बिन कहे ही समझ
दिखला जाए एक सीधा सरल सा रास्ता
बिना किसी निज स्वार्थ के,
तो मात्र सिर ही नहीं ,
हृदय भी झुक जाता है ,
उस शिक्षक के वंदन में !