तेरी यादों को
तेरी यादों को
तेरी प्यार को तरसता हूँ माँ
तेरी दुलार को तरसता हूँ।
आ फ़िर डांट ले एक बार
तेरी फटकार को तरसता हूँ।।
खोई यादों को पिरोता हूँ
तन्हाईओं में जब होता हूँ
जहाँ भी है तू देख रही होगी
खामोशी में आँसू बहाता हूँ।
गम सताता है जब कोई
बोल ना सकता और कहीँ।
तेरी आँचल की साये तले
साँसें सुकून को तरसता हूँ।।
अक्सर आज भी ये होता है
जब तेरी खयाल आता है
सोचता हाल तेरी पूछूँ लूँ
मगर शिहर सा जाता हूँ।।
हर ख़ुसी में तू सामील है
हर पुकार का तू मंज़िल है
नासमझ दिल मानता नहीं
अनमना सा हो जाता हूँ।।
आज हर कोई हाल पूछता है
तेरी याद बहुत ही सताता है
रिस्ते हैं फिक्र भी है मगर
तेरी आवाज़ को तरसता हूँ।
तेरी यादों को पिरोता हूँ।।