तेरी याद
तेरी याद
कभी
शोर अच्छा लगता है
दिल को
तो कभी खामोशी भाती है
चाहे ठहरी रहूं
जमीन पर
चाहे बहती रहूं
ख्यालों में
चाहे खुद से भागूं
चाहे चलती रहूं किसी राह पे
तेरी याद
न जाने क्यों
हमेशा आती है
एक पल भी जो
खाली हुई
दिल को
तेरी याद सताती है
दिल की धड़कनें थम जाती हैं
आंखें नम हो जाती हैं
तू लौटकर भी नहीं आता है
न अपने नये घर का पता
बताता है
मैं तुझे
ढूंढूं तो
ढूंढूं आखिर कहां
थकहार कर
सुस्ताकर
एक कोने में बैठकर
फिर मैं ही
अपने बोझिल मन को
जो समझ में आता है
समझाती हूं।