तेरी मेरी कहानी
तेरी मेरी कहानी
जिंदगी की किताब में मेरी कितने
खूबसूरत लम्हे हैंतेरी मेरी कहानी के।
कभी गप्पों वाली दोपहर तो कभी खिलखिलाती सांझ।
गलबहिया डाले गली- नुक्कड़ इधर उधर घुमना।
और रात मां की प्यार भरी फटकार नादानियों
के साथ बेबाक जीना लुक छुप कर मिलना
ऐसा था यह बचपन दीवाना क्या दिन थे
वह खुल कर जीना धमाचौकड़ी मचाना।
हौले हौले जवानी की दहलीज को
पार कर देना और बह जाना
जज्बातों में कसमे वादे प्यार वफ़ा
सब लगे यही है जीवन सुहाना।
पर एक दिन.... बन गया यह सपना सलोना
और पापा ने किया विदा भीग नैना।
बेटी अब यही तेरी नीयति संभाल
अपनी गृहस्थी छोड़ यह बचपना।
ऐ ज़िन्दगी बस इतना सा है फसाना।