तेरी जीवन बड़ा दुखदाई
तेरी जीवन बड़ा दुखदाई
तेरा ये जीवन बड़ा दुखदाई
जिसमें न नाचे कोई मोर भाई...
जो है कहानी मोहब्बत की तेरी
जो बीती जवानी,
भी क्या बीती तेरी...
तेरा ये जीवन बड़ा दुखदाई।
तड़पता है आंगन,
तड़पता है घर वह...
जिस घर में तेरी,
रही थी परछाई...
तेरा ये जीवन बड़ा दुखदाई।
वे सावन की बातें,
वे सावन की रातें,
जिस रात में तुम,
रोई-चिल्लाई थी
उस रोज न जाने,
बरसात की बूंदों में,
अजीब सी खामोशी,
पसर गई थी...
गरजते आसमां में,
बेचैनी बढ़ गई थी...
तेरा ये जीवन बड़ा दुखदाई।
जिस गोद में तू खेली-कूदी थी,
उस गोद में ही तू अब रोई थी...
किस्सा-कहानी सुनाने वालों की,
कहानी का अब तू हिस्सा बनी थी
तेरा ये जीवन बड़ा दुखदाई।
तुम्हारें दुःख देख कर उस घड़ी,
वह मोर रोया था,
तुम्हें दुःख देने वालों के जख्मों को,
वह भी तेरे संग-संग सहा था
तेरा ये जीवन बड़ा दुखदाई।
उस घड़ी तुम्हारे प्रिय सब,
तुम्हें देखकर पराया कहे थे
मोहब्बत करती थी तुम जिनसे,
वही अब तुम्हें बदचलन कहे थे
तेरा ये जीवन बड़ा दुखदाई।