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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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तेरी दोस्ती

तेरी दोस्ती

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तेरी दोस्ती,यार मेरी जिंदगी है

तेरी दोस्ती मेरी ख़ुदा की बंदगी है,

तू साथ है तो मुझे लगता है कि

मित्र मैं जी रहा हूं एक जिंदगी है,

तुझ से एकपल की भी दूरी दोस्त,

मुझे लगती है,मौत की बन्दगी है,

तू फूल है,मैं शूल हूं

तुझसे मेरी पहचान है

तेरी बिना क्या मेरी जिंदगी है,

तू चन्दन सा महकता है

मेरा दिल तुझसे चहकता है

तेरे बिना ये साखी दोस्त नव

स्वर्ण होकर भी एक गंदगी है।



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