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Shikha Pathak

Tragedy

5.0  

Shikha Pathak

Tragedy

तेरे जाने से

तेरे जाने से

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देख तेरे जाने से साँसे न थमी हमारी

बात ये और कि जिन्दगी, जिन्दगी न हमारी ।


यूँ तो महफिल में मुस्कुराहटों का सिलसिला है

जाने फिर क्यूँ अन्दर मेरे कुछ टूटा सा है ।


ख्वाहिशें जिन्दगी की अब तो सिमटती जा रही है

आँखें है बिन बात जो छलकती जा रही हैं ।


खामोशियों पर भी तंज कसे जा रहे हैं

देख फिर भी तन्हा हम जिये जा रहे हैं ।


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લોગિન

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