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Shikha Pathak

Inspirational

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Shikha Pathak

Inspirational

मेरी माँ

मेरी माँ

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लुढ़क कर किताबों पे यूँ सो जाना मेरा
वक्त बीते जो हौले से वो आना तेरा
नींद खुल तो गयी चूँड़ियों की खनक से तेरी
फिर भी गोंद ले तू मुझे वो बहाना मेरा
भूख भी थी मुझे प्यास थी भी मेरी
हठ ये तेरे हाथों से हो हर निवाला मेरा
कड़ी धूप में तुझसे छुप के वो जाना मेरा
याद आता है मुझे ढूँढ के वो लाना तेरा
कम न थी बचपन की बदमाशियाँ मेरी
डाँट कर मुझे बाद में साथ रोना तेरा
भेजती थी कहीं चूम कर जो माथा मेरा
मेरे आने से पहले राह तकना तेरा
तू न होकर भी रूह में जिन्दा है मेरी
लोग कहते है हूँ मैं तो आखिर तस्वीर तेरी........


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