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Shikha Pathak

Inspirational

5.0  

Shikha Pathak

Inspirational

मुझे मुझ सा ही रहने दो

मुझे मुझ सा ही रहने दो

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बहुत हुआ बस अब

मुझे मुझ सा रहने दो

खोल दो इन बेड़ियों को

मुझे आँगन की चिड़िया रहने दो

जरूरी तो नहीं

हर पल मुस्कुराऊँ मैं

अब मुझे

बिन मुखौटों के रहने दो

जवाब माँगा सभी ने मुझसे

अब कुछ सवाल

मुझे खुद से करने दो

झुकी नजरों से

तंज सुने मैंने बहुत

अब नजरें मिला कर

बातेँ चार करने दो

बैठ चुकी सभी के तराजू में मैं

अब मुझे खुद के पैमाने में रहने दो

चलूँगी मैं गिरूँगी भी

मैं बहुत हुआ बस

अब मुझे लड़खड़ा कर सम्भलने दो

मुझे मुझ सा ही रहने दो...


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