STORYMIRROR

तेरे इश्क़ का रंग

तेरे इश्क़ का रंग

1 min
14.2K


तेरे इश्क़ का रंग कुछ ऐसा चढ़ा,

की हर रंग अब फीका लगने लगा

ना लाल भाये ना केसरिया भाये,

अब तो तेरे हुस्न का रंग चढ़ने लगा।


रात - तारों में ज़िक्र तुम्हारा होता है,

कब तुम आओगी, बस इंतज़ार होता है

सुना है गली में हमारे इश्क की चर्चा होती है ,

ज़माने से कह दो, हर इश्क में ऐसा ही होता है।


ये कंगन, ये बाली, ये बिंदी, तुम पर बहुत खिलती है,

ज़रा पास भी आ जाओ, अब तो बाहें भरने को तरसती हैं

तेरे इश्क़ का नशा मुझे पागल बना दिया,

न जाने कब का, मुझे मयख़ाने बिठा दिया।


सोचता हूँ कि हर आशिक का क्या यही हाल होता है,

अब तो इश्क ने मुझे जाहिल और ज़ालिम बना दिया...!




Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama