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Dr.Shilpi Srivastava

Romance

4  

Dr.Shilpi Srivastava

Romance

तेरे बिन

तेरे बिन

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हर बात में हमारी तू इस कदर है शामिल,

जैसे कि तेरे बिन मैं कुछ जानती नहीं हूँ; 

     जब आंख खोलती हूँ,

     तुम ही नज़र हो आते,

     पलकें जो बंद कर लूँ,

     तुम ही तो मुस्कुराते,

     हर सांस में बसे हो,

     हर आस में बसे हो,

     जैसे कि खुद को खुद मैं,

     पहचानती नहीं हूँ;

हर बात में हमारी तू इस कदर है शामिल, 

जैसे कि तेरे बिन मैं कुछ जानती नहीं हूँ;

     ग़र तुम कहो तो दिलवर,

     जाँ मैं निसार कर दूँ,

     ग़र तुम कहो तो तुमको,

     सारा जहाँ मैं दे दूँ,

     मेरी ज़िंदगी तुम ही हो,

     मेरी आरज़ू तुम ही हो,

     हर जुस्तजू तुम ही से,

     इनकारती नहीं हूँ,

हर बात में हमारी तू इस कदर है शामिल, 

जैसे कि तेरे बिन मैं कुछ जानती नहीं हूँ। 


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