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विनीता धीमान

Romance

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विनीता धीमान

Romance

तेरा साथ हो तो मंज़िल करीब है

तेरा साथ हो तो मंज़िल करीब है

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न जाने कौन सी राह चल पड़ी

न मंज़िल है न किनारा

राह में आने वाले अजनबी

हमराज कैसे कह दूँ।


एक दिन तुम यूँ ही मिल गए

गुलशन में बहार आ गयी

मेरी सूनी गलियों में

खुशनुमा ठंड आ गयी।


तुम्हें पाकर ऐसा लगा

की आज मैं जी गयी

तुम्हारी सांसों में अपना

ठिकाना मिल गया।


काश यह पल थम जाए

काश समय को

गति को थोड़ा थाम लूँ।


तुम्हें निगाह भर देख लूँ

अपनी आगोश में ले लूँ


तेरा साथ पाकर अब

मंज़िल दूर नहीं

तेरा साथ हो तो मंज़िल

करीब है


अब मैं मैं नही

तुम तुम नही

मैं और तुम अब हम


वादा करो न छोड़ कर

जाओगे

मेरी चेहरे को भूल तो न

जोआगे।


तुम्हारे साथ जीना

तुम्हारे साथ मरना है

अब तो बस कर लिया ये

इरादा है।



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