तेरा प्यार
तेरा प्यार


सागर की लहरों-सा तेरा प्यार
कभी उमड़ता कभी थम जाता
कभी बरसता सावन बन कर
कभी ये मन को सुलगाता है
हसीन वादियों में हाथ पकड़
क्यों चलते-चलते रूक जाता है
चाँदनी रातों में टूटता तारा देख
कुछ कहते-कहते मुसकाता है
ये कैसा अंदाज़ है तेरा प्यार का
कुछ मुझ को नहीं समझ आता है
क्यों कुछ लोगो को देखते ही
तेरे चेहरे का रंग बदल जाता है
एक ही पल में सब भूल कर
तू इस क़दर बदल जाता है
तेरा प्यार,
क्यों पल पल में बदल जाता है
क्यों पल पल में बदल जाता है।।