STORYMIRROR

AVINASH KUMAR

Romance Tragedy

4  

AVINASH KUMAR

Romance Tragedy

तेरा ही जिक्र

तेरा ही जिक्र

1 min
220

नींद भी आती नहीं रात भी जाती नहीं

कोशिशें इन करवटों की रंग कुछ लाती नहीं


चादरों की सिलवटों सी हो गई है जिंदगी

लोग आते लोग जाते सिलवटें जाती नहीं


जुगनुओं के साथ काटी आज सारी रात मैंने

राह तेरी भी तकी पर तुम कभी आते नहीं


कुछ शब्द छोड़े आज मैंने रात की खामोशियों में

मैं जो कह पाता नहीं तुम जो सुन पाते नहीं


तेरा ही जिक्र होता है

हर एक अल्फाज में मेरे


वो भी इस सलीके से

कि तू बदनाम ना हो जाए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance