STORYMIRROR

pawan punyanand

Romance

3  

pawan punyanand

Romance

तेरा दर्पण बन जाऊँ मैं

तेरा दर्पण बन जाऊँ मैं

1 min
251

काश,कि तेरा दर्पण बन जाऊँ मैं,

तू सजे-संवरे और निहारुं मैं,

तू उलझी जुल्फें सँवारे

देखकर मुझको,

इक-इक जुल्फ़े तेरी सुलझाऊँ मैं,

काश, कि तेरा दर्पण बन जाऊँ मैं।

तू हंसे देखकर मुझको,

तुझे देख मुस्काऊँ मैं,

तेरा दर्पण बन जाऊँ मैं।

दर्पण की आँखों में देखकर जब

पूछो ,

कैसी लग रही मैं ,

दर्पण बन तेरा रूप दिखाऊँ मैं,

काश,

कि तेरा दर्पण बन जाऊँ मैं।

तेरी प्यारी हंसी समेटकर ,

खुद में,

सदा मुस्काऊँ मैं,

तेरा दर्पण बन जाऊँ मैं।

तेरा रूप समेटकर खुद में,

गीत नया बनाऊँ मैं,

जब भी तुम आओ सामने

नित् नया सुनाऊँ मैं ,

काश ,कि तेरा दर्पण बन जाऊँ मैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance