तेरा चेहरा
तेरा चेहरा
जब चली बसंती हवा ,
बगियन से झूमकर।
भँवरों की टोली चली,
फूलों की सुगंध पर।
कोयलिया कूक कूक,
डोले है आम्रतरु पर।
मोर वृन्द नृत्य करें,
बरसे सावन झूमकर।
नदियाँ बहें गाती हुई,
लहरें सुनाती तान हैं।
जिंदगी रूमानियत का
जब बाँह थामने लगे।
तेरी आँखों की चमक,
बिजली सी कौंध गई।
तेरी मोहक मुस्कान,
लहरों में खेलने लगीं।
तेरी यादें दिखने लगीं,
पुरवाई पवन सँग में।
जब-जब छायी घटा,
आकाश के सीने पर।
तब तब ये मन विह्वल,
ढ़ूँढ़ती रही जाने कहाँ।
हर शाख के पत्तों पर,
तेरा अक्श उभर आया।
कोयल की मृदु बोली में,
तेरी आवाज़ गूँजती रही,
लहरें सुनाती रहीं बातें।
जब-जब छायी घटा ये,
सावन की मतवाली सी।
तो मुझको तेरा चेहरा,
याद आया, याद आया।