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Amit kumar

Tragedy

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Amit kumar

Tragedy

तड़प

तड़प

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तुमने कहा और मैंने माना यह करो वह मत करो

यहाँ जाओ वहां मत जाओ ऐसे हैं सो वैसे नहीं

तुमने कहा और मैंने माना !!


लड़की का अकेले घूमना अच्छा नहीं

लड़कों के साथ बातें करना अधिक पढ़ना

आगे बढ़ना किसी नदी के किनारे

एकांत में खड़े होना उमस भरी जिंदगी में तड़पना

कोई सुख का कोना अच्छा नहीं है

आकाश को छूना तुमने कहा और मैंने माना !!


लड़की पराया धन है पति के चरणों में ही जीवन है

उसके लम्बे जीवन के लिए व्रत उपवास करना

पिटते पिटते मर जाना पर कभी उफ़ न करना

वंश बेल वृद्धि के लिए बस बच्चे पैदा करना

तुमने कहा और मैंने माना !!


मेरी माँ मुझे बता बदले में मुझे मिला क्या

पीठ पर नीले नीले निशान खाने को मार पीने को आंसू

सहने को पीड़ा रहने को फुटपाथ और अपने ही भीतर

अंकुरित स्त्री को मारे जाने की पीड़ा !! 


बहुत हो गया अमानवीय अत्याचार मुझे

थोपी बहुत मर्यादा संस्कार सभ्यता मत पिलाओ

अब और सह नहीं पाऊँगी मैं बोलूंगी और बोलती रहूंगी !!


जब तक हमारे लिए समाज में सम्मान प्यार

नहीं होगा औरतों को जीने का अधिकार नहीं होगा !!


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