तेरी यादें
तेरी यादें
कहना था बहुत कुछ पर कुछ कह न
सका चाह कर भी तुझको चाह न सका
पास थी तू इतनी पर सोचता ही रहा
दिल में दबी बात तुझसे कह न सका
अब सोचता हूँ बस इतना कि तेरे जाने का गम मनाऊँ
या तेरी यादों की ख़ुशी मनाऊँ
अब कैसे तुझे भुला पाऊँ इन आँखों के आंसू
कैसे मैं रोक पाऊँ इन सासों में बसी है तू
इन सासों को कैसे रोक पाऊँ
तेरे जाने का गम रो रो हम सहते हैं संभाल लेते हैं
अपने आपको क्योंकि दो दिलों की दूरी को ही प्यार कहते हैं।