तारीफ़
तारीफ़
नई प्रोफ़ाइल तस्वीर लगाते ही,
जो बांध देते हैं तारीफों के पुल
गर लिख दूं मैं,
पितृ सत्ता पर कटाक्ष
तब भी इतनी ही तारीफ़ कर पाओगे?
तुम्हारे कहे अनुसार स्त्री जब करती है सब काम
पूछती नहीं तुमसे कोई भी सवाल,
एक दिन अपने मन की करने लगे,
क्या तुम सह पाओगे?
तब भी इतनी ही तारीफ़ कर पाओगे?
सुंदरता देह की देखकर जो तुम उपमाएं देते हो,
विचारों की सुंदरता को समझना तो दूर,
पढ़ भी पाओगे!!
क्या तब भी इतनी ही तारीफ कर पाओगे?
स्त्री के अधिकारों को जो अपने घर में झुठलाते हैं,
सोशल मीडिया पर बैठ फिर उपदेश गुरु बन जाते है
ऐसे लोगों को कर दूं अनफ्रेंड
क्या तब भी इतनी ही तारीफ़ कर पाओगे??
