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Zala Rami

Abstract

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Zala Rami

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स्वतंत्रता

स्वतंत्रता

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बड़ी शान से मना लिया हमने 

हमारा स्वतंत्रता दिन ।

एक सुर में गुनगुना लिया अपना 

देशभक्ति गान ।

लहरा दिया झंडा देकर बड़ा 

मान -सम्मान ।

इस दिन सोचा कभी हो तुम 

कितना स्वतंत्र?

पा कर आजादी अंग्रेजों से

तुम बन गये स्वतंत्र?

सब बोलते हे ,करें हम अपने मन का।

मन के इस अवगुन से कब छूट 

पाएंगे हम?

अपनों से दूरी बनाकर अपनाने 

चले गैरों को हम!

मोबाईल की इस आदत से

कब छूट पाएंगे हम?

हम आत्माएं राजा,मन होता है 

गुलाम हमारा।

अब गुलाम ने कर दिया राजा पर   वार।

आत्मा बन गया है मन का गुलाम।

अहिंसा को जकड़ लिया हिंसा ने।

महेनत को जकड़ लिया आलस ने।

रमतगमत को जकड़ लिया पब्जी ने।

सादगी को जकड़ लिया ब्यूटी पार्लर ने।

चैन की नींद को भी जकड़ लिया

धन की लालच ने!

इतनी सारी पाबंदी के हम गुलाम।

फिर भी कहे बड़ी शान से हम आजाद ।



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