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Saroj Verma

Romance

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Saroj Verma

Romance

स्वप्नसुंदरी...!!

स्वप्नसुंदरी...!!

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कौन हो तुम स्वप्नसुंदरी?

ये काम-कमान भौंहें तेरी,

अँखिया हैं तोरी कजरारी,

अधर हैं तेरे गुलाबों से,

केश घनेरे है तोरे जैसे

सावन की बदरिया मतवारी

लचके कमरिया फूलों की डारी

जब चाल चले तू मतवारी,

सांवला सलोना रुप तेरा

चैन मेरा उड़ाता है

लहराता है आंचल तेरा

झोंका हवा का जब आता है,


सुन तेरी पायल की छन-छन,

बढ़ जाती है मेरे सीने की धड़कन,

अब स्वप्न मेरा पूर्ण करो,

इस जीवन में आन बसों,

अगर बन जाओ तुम प्रियतमा मेरी

तो हो जाए जीवन की हर आस पूरी

हर क्षण क्षण है प्रतीक्षा तेरी

अब और ना लो परीक्षा मेरी,

कब से खुलें है मेरे हृदय किवार

प्रिये! कर लो मुझे स्वीकार..!!



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