दिखे न बदरा, सावन की ऋतु आई चपला न चमके, है कैसी ये रुसवाई उमड़ – घुमड़ बदरा लाई न पुरवाई दिखे न बदरा, सावन की ऋतु आई चपला न चमके, है कैसी ये रुसवाई उमड़ – घुमड़ बदरा...
ये मोर सजना तनी लेता हमके हियवा लगाए ये मोर सजना ये मोर सजना तनी लेता हमके हियवा लगाए ये मोर सजना
इस कविता में जीवन से संघर्ष करता व्यक्ति बादलों के साथ कुछ फुरसत पल केसे बिताना चाहता है उसका वर्णन ... इस कविता में जीवन से संघर्ष करता व्यक्ति बादलों के साथ कुछ फुरसत पल केसे बिताना ...
हमरो मनवा तू बुझ लेतू ना चढ़ल बा मनवा तोहरे प्यार के शरूर बा हमरो मनवा तू बुझ लेतू ना चढ़ल बा मनवा तोहरे प्यार के शरूर बा
रात हुई, जैसे चढ़ आयी रे बदरिया। लेकिन नहीं आई आंखों में निंदिया। रात हुई, जैसे चढ़ आयी रे बदरिया। लेकिन नहीं आई आंखों में निंदिया।
लहराता है आंचल तेरा झोंका हवा का जब आता है, लहराता है आंचल तेरा झोंका हवा का जब आता है,