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अभिमन्यु कुमार

Romance Tragedy

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अभिमन्यु कुमार

Romance Tragedy

रात हुई, जैसे चढ़ आयी रे बदरिया।

रात हुई, जैसे चढ़ आयी रे बदरिया।

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रात हुई, जैसे चढ़ आयी रे बदरिया।

लेकिन नहीं आई आंखों में निंदिया।।

       कानों में गूंजे उनकी सुरीली अवजिया।

       तुम जो सामने नहीं हो मेरे मद-रसिया।।

उनकी लायो कोई सच सच बतिया।

अभी तक ना आयो मेरे रंग-रसिया।।


रात हुई, जैसे चढ़ आयी रे बदरिया।

लेकिन नहीं आई आंखों में निंदिया।।

         दोनों के बीच में आई कौन सौतनिया।

         पिया बिन कैसे कटे दिन और रतिया।।

पल पल आंखों में उनकी ही तस्वीरीया।

कैसे भूल जाए सज्जना दिया स्नेहिया।।


       रात हुई, जैसे चढ़ आयी रे बदरिया।

        लेकिन नहीं आई आंखों में निंदिया।।


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