अतिथियों का स्वर्ग
अतिथियों का स्वर्ग
अगर देखना है तुझे संस्कृति सु-सम्पन भारत महान।
तुम्हें घूमना होगा भारतवर्ष की पावन धरती तमाम।।।
किन्तु मैं भी तुझे एक निश्चित क्षेत्र बताता हूं।
दक्षिण गुजरात के क्षेत्रों में मेहमान बनाता हूँ।
युही नही करते आर्यावर्त की धरती का लोग सह्रदय सम्मान।
यह इस पूण्य धरा के लोगों का अतिथियों के प्रति सम्मान।।
जम्बूद्वीप की पावन पुनीत पूण्य धरती को बारम्बार सप्रणाम।
है संस्कार उच्च जहाँ के जनमानस को ह्रदय तल से अभिनंदन।।
भारत वासियों को जानना, समझना एव परखना बिलकुल है आसान।
आ जाओ आप कभी भी इनके घर बिना तिथि बताये हुए प्रिय मेहमान।।
भगवान ने निहायत ही कुछ खिलखिलाते रंगीन धरा बनाये होंगें।
उनमें से सबसे मोहक, बेशकीमती धरा के पुत्र का है अभिमान।।
कोई वेणु विपुल और विजय नहीं, यहाँ पूरी गुलालों की बस्ती है।
आप अतिथियों के प्रेम बानगी है यहाँ तो पूरी इंद्रधनुष भरी है।।
मकरंद सी तासीर, गुलकंद सी शख्सियत है यहाँ के प्यारे लोगों की।
भगवान का आशीर्वाद हैं ये, शायद ही किसी देश मे बरसती होगी।।
विविधताओं में एकता का परिचायक है मेरा भारतवर्ष महान।
तभी करता है भारत लोकतांत्रिक मूल्यों पे विश्व का अगुवान।।
इस सोहबत को कौन ना तरसे, हम तो धनी किस्मत वाले हैं।
जो इसी मिट्टी में पले-बढ़े है और दुनिया को बदलने वाले है।।