प्यार का अभिमान
प्यार का अभिमान
चाँद सा मन - मोहक चेहरा उनका मस्त अदाएं थी।
अपना बनाने की यही दिल में अरमान लिए बैठे थे।
मन में आक्रोश किस बात की जब प्रेम अटूट था
दिल में बौखलाहट किस बात की जब विश्वास था
हमें तो तुम और तुम्हारे प्यार पे अभिमान इस कद्र था।
औषधि है विश्वास तोड़ने का ये भी हमें पता नहीं था।।
सुरक्षित मान तुम्हें संरक्षित करने की कोशिश था
लेकिन बेइंतहा मोहब्बत की जो मेरा बचपना था
तुम्हें तो इसकी आदत-सी है हमें क्या पता था।
हम ही निकले अंधभक्त इसका भी न पता था।।
तुम्हारे प्यार पे दीक्षा को विश्वास इस कद्र था।
तोड़ डाला जीवनसाथी बनाने का सपना था।।
तुम इतना बदल जाओगी मुझे पता नहीं था।
चूर चूर कर दोगी हर ख्वाब मेरा मालूम न था।
अब सोचता रहता हूँ मेरे प्यार में क्या कमी था।
सच्चे मन से जो चाहा क्या यही मेरा भूल था

