स्वार्थ
स्वार्थ
स्वार्थ समझ को अपने बादल से ढक देति है ।
यदि मनुष्य में स्वार्थ का भाव भी हो,
तो भी वह सही और गलत का पता नहीं लगा पाता।
इसके लिए बहुत शुद्ध, सूक्ष्म, तीक्ष्ण बुद्धि चाहिए।
आपके पास एक ऐसा हृदय होना
चाहिए जो पूरी तरह से शुद्ध हो।
आपके पास एक संतुलित दिमाग होना चाहिए।
गर्मी और सर्दी, सुख और दर्द, प्रशंसा और निंदा,
सफलता और असफलता जैसे विपरीत
जोड़ों के प्रति उदासीन रहें।
आपको कई वर्षों तक निस्वार्थ सेवा में
अच्छी तरह प्रशिक्षित होना चाहिए।
तब आप स्वार्थ पर काबू पा लेंगे
और वास्तविक समझ हासिल कर लेंगे।
