स्वामी
स्वामी
हे गुरुवर ! अब तो उबारो तुम बिन सूना यह जीवन।
दुर्बलता पीछे पड़ी है, सूझता अब कुछ भी नहीं है।।
मात-पिता अब तुम ही हो, तुम ही बंधु-सखा हो।
किस पर भरोसा कर लूँ , तुम्हारे सिवा अब कोई नहीं है।।
बिगड़ी का बनाना या हृदय से लगाना।
छोड़ दिया सब तुम पर,अब मुझे कोई जंचता नहीं है।।
इस दीन पर दया करना, अपने चरणों में ही रखना।
तुम्हारे चरणों के सिवा,अब कुछ दिखता नहीं है।।
शत-पथ पर चलना और तुमको ही भजना।
"नीरज" के तुम हो "स्वामी", तुम बिन जीवन नहीं है।।