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Phool Singh

Drama Inspirational

4  

Phool Singh

Drama Inspirational

स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद

1 min
203



वीरेश्वर एक बालक सुंदर, विलक्षण बुद्धि संग जन्मा था 

नरेंद्र नाथ था नाम घर का  

फिर स्वामी विवेकानंद कहलाया था।।


भुला नहीं जो पढ़ा कभी वो, नरेंद्र ऐसा जीनियस था 

विश्व-भूवेंश्वरी का पुत्र प्यारा 

योग-साधना संग ज्ञानयोग का मालिक था।।


रूढ़िवादिता का घोर निंदक, खुद को, गरीबों का सेवक कहता था 

हतोत्साहित करता उन युवाओं को 

जो, धूम्रपान-नशे का आदि था।।


देशभक्त वो बड़ा ही सच्चा, सदा धर्म-कर्म का मार्ग अपनाया था 

हिन्दू दर्शन कराता देश-विदेश में  

हृदय नारी-सम्मान को रखता था।।


उठो जागो रुको न जब तक, अधूरा लक्ष्य अपना था 

जरूरतमंदों की मदद को ही

सच्ची, ईश्वर की सेवा कहता था।।


मूर्तिपूजा का प्रतिवाद जो, युक्तिसंगत-आध्यात्मिक दर्शन का विचारक था 

परमहंस का शिष्य बना 

सक्षम, दिव्यतम आदर्शों में जिन्हें पाया था।।


निष्ठा उसकी संसार भी देखा, जग ने गुरु से बढ़कर देखा था

सनातन धर्म का जग-जहान में  

परचम वही फैलाया था।।


मेरे भाई अमेरिकी एवं बहनों से संबोधित कर, दिलों में उनके बस गया था

शिकागों का भाषण कौन भूलेगा 

जब भारत का, वो बुलंद झण्डा कर गया था।।


हिन्दू दर्शन को चार चाँद लगाया, प्रभावशाली ऐसा व्यक्तित्व था

साईक्लाँनिक हिन्दू कहलाया 

तत्वज्ञान का अद्भुत ज्ञाता था।।  


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