सवाल
सवाल
ये बात और है कि,
तुम पूछते नहीं हमसे,
वरना जवाब तैयार रखे हैं,
हमने सब सवालों के ।
खुद से खुद को तुम समझ के,
सवाल जवाब कर लेते हैं,
जो तुमसे सुनना चाहते हैं,
वो खुद से हम कह लेते हैं ।
जो नहीं कहा तुमने कभी,
वो खुद से हम कह जाते हैं,
सूखे वीरान रेगिस्तान में,
मृगतृष्णा-सी आस हम जगा लेते हैं ।
इसी कशमकश में,
हर रात गुज़ार हम लेते हैं
चंद जवाब जो देने हैं तुम्हें,
वो सवाल कभी तुम पूछोगे ?
ये बात और है कि,
तुम पूछते नहीं हमसे,
वरना जवाब तैयार रखे हैं,
हमने सब सवालों के ।