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Sunita Shukla

Abstract

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Sunita Shukla

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सवाल ज़िन्दगी के

सवाल ज़िन्दगी के

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बस सवालों जवाबों में उलझी है जिन्दगी 

अब तो लगता है जीवन नहीं, है ये बन्दगी।

हम हैं कि जवाबदेही की राह चल पड़े 

पर जिन्दगी के सवाल कभी कम न हुए।।


आज फिर एक सवाल आ गया सामने

और हम जवाब की खोज में लग गए । 

हजार शब्दों से एक मौन बेहतर है,

वैसे भी हर सवाल का जवाब देना जरूरी तो नहीं है।


 हाँ, अगर वह प्रश्न अस्तित्व से जुड़ा हो,

 समाज और इंसानियत से जुड़ा हो 

तो हम आँखे नहीं चुरा सकते

वहां पर हम सभी की जवाबदेही बनती है।। 


चलो इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढते हैं,

जिन्दगी को एक मुकम्मल मुकाम दिलाते हैं ।

ताकि फिर कोई सवाल रूबरू होने से कतराये

और हमारी जिन्दगी बेहद खूबसूरत हो जाये ।।



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