स्वाभिमान
स्वाभिमान
एक दिन तुम्हें पता चलेगा तुमने
जिसे छोड़ा वो किसी से कम नहीं
बहुत बहाएं है हमने भी आंसू पर
अब ये आंखें पहले जैसे नम नहीं
बह चुकी हूं भावनाओं में अब तक
अब लगता है कि जिंदगी अधूरी है
तुम्हारे साथ रहना गवारा नहीं क्योंकि
मेरे लिए मेरा स्वाभिमान जरूरी है
तुमने सरेआम मुझे ठुकराया था
इस बेगानी दुनिया से डर कर
इस बार मैं तुमसे दूर जा रही हूं
इसमें ही अपना सम्मान समझकर
अरे, ऐसे बंधन में भी क्या बंधना
जो अक्सर दुनिया से डर जाए
उस बुजदिल से क्या दिल लगाना
जो दिल की बात ना कह पाए
सच तो ये है अगर तेरे साथ रह गई
तो इसमें भी मेरा ही अपमान है
तुम्हें ज्यादा ही भाव दे चुकी हूं पर
अब ज्यादा जरूरी मेरा स्वाभिमान है