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Rashmi Singhal

Inspirational

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Rashmi Singhal

Inspirational

स्वाभिमान की लड़ाई

स्वाभिमान की लड़ाई

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चप-चप-चप चरखा चलाते

गाए दादी आज़ादी के गीत,

स्वाभिमान की लड़ाई इससे

ली गाँधीजी ने कैसे जीत,


मात्र एक धागे से सबको 

एकता के सूत्र में था पिरोया,

सूत के बल पर कैसे विदेशी

व्यापार फूट-फूट कर रोया,


ध्येय था यह गाँधी जी का

पहुँचे चरखा हर एक घर,

चप-चप चप-चप चप-चप 

गूँजे इसका हर ओर ही स्वर,


उनके इस आंदोलन को जन-

जन ने था स्वीकार किया,

अग्निदाह कर विदेशी वस्तुओं

का,देश ने था बहिष्कार किया, 


रोज सुनाती ऐसे ही ढेरों

गीत, किस्से और कहानी,

सुनकर बच्चे खुश हो जाते

जिनको दादी की ज़ुबानी,


स्वालंबन के किस्से हमें 

अब फिर वही दोहराने है,

गीत वही फिर आज़ादी के

हम सब को मिलकर गाने हैं,


खोये आत्मसम्मान को हमने

फिर से आज जगाना है,

बहिष्कार के आंदोलन को

दृढ़ निश्चय से हमें अपनाना है, 


छोटे-बड़े हर किसी उद्योग को

खुद,हमें ही हक दिलाना है,

आत्मविश्वास के बल पर देश 

की अर्थवयवस्था को उठाना है,


विदेशी वस्तुओं के त्याग का

हमें बीड़ा फिर उठाना है,

फिर से आज देश को अपने

आत्मनिर्भर हमें बनाना है।


    


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