सूर्य से सीख
सूर्य से सीख
सूर्य से सीख लो,प्रकृति का अनुशासन,
न होता कभी विलम्ब,उदय अस्त एक समान।
धूप नहीं निकलती, पर दिन तो होता है,
उजाला फैल जाता, अन्धेरा दूर होता है।
रंग बिखरते आसमान में नये नवेले
जो आकर्षण से मन को बॉंध लेते।
अद्भुत चितेरा अद्भुत नव नव रूप धरे
आलस्यहीन अपना कर्तव्य पूर्ण करे।
तुम भी निस्पृह हो अपना काम करो ,
जो भी आयें बाधायें अपना कर्म करो।
जो तुम पर फेंकें ईंट, उसे सोपान बना लो
उससे अपनी नींव को और मज़बूत बना लो।
घमंड न हो कभी किसी बात का कहीं,
जहॉं ईश वहॉं घमंड नहीं, नम्र हो सब कहीं।