सूरज के संग
सूरज के संग
"मजदूर"
वह सूरज से पहले
जाग जाता है
सूरज के उगते ही
काम पर निकल जाता है।
दो रोटी चाय संग खाकर
सूरज की तरह दिन भर
मेहनत करता है
मजदूरी के लिए
अनेको काम करता है
सूरज की तरह निरंतर
गतिशील रहता है
सांझ ढले सूरज को
विदा कर लौटता है
शाम को छः रोटी बनाता है
दो रोटी बेसहारा बुजुर्ग को देता है
एक एक गाय कुत्ते को खिलाता है
दो रोटी खुद खा लेता है
फुटपाथ पर सो लेता है
धरती को बिछा
आसमान को ओढ़ लेता है
परिवार के लिए सब सह लेता है
वो सूरज को आदर्श मानता है
दिन भर सूरज के संग रहता है
तपता है निखरता है।।