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Anil Jaswal

Fantasy

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Anil Jaswal

Fantasy

सुराही से महोब्बत

सुराही से महोब्बत

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हर रोज शाम को,

गम गलत करता,

चुपचाप छुप छुपकर,

मैहखाने का रुख करता।


अंदर पहुंचता,

एक मेज पर बैठता,

कुछ खाने के लिए लगवाता।

साथ में,

शराब की सुराही,

और‌ जाम।


उसकी नशीली आंखें,

ज़हन में,

जैसे जैसे याद आती।

वैसे वैसे,

जाम की किस्मत,

खिलती जाती।


बस दौर पर दौर चलते,

साथ में,

महखाने में संगीत गुंजता।

मेरे हाथ पांव लड़खड़ाते,

लेकिन उसकी याद से,

राहत दिलाते।


मैं इतनी पी जाता,

मदिरा की हर बूंद से,

मेरा याराना हो जाता।


सुराही पर सुराही,

जाम पर जाम छलकते।

एक एक जाम,

दवा का काम करता।

तब जाकर,

मेरा पीछा,

उससे छूटता।


फिर मेरा,

ये हाल हो जाता,

मैं होश‌ खो जाता।

आखिर लुढ़क कर,

महखाने में ही गिर जाता।


आज मेरी,

सुराही से,

ऐसी यारी,

दोनों की शाम,

एक दूसरे बिन अधुरी।


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