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Sana K S

Tragedy

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Sana K S

Tragedy

सुनो ना....

सुनो ना....

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सुनो ना,

अच्छा ही हुआ तुम चले ही गए,

वैसे भी अब दिल मेरा अपाहिज हो चुका है,

बिना बैशाखी के चल तो क्या ... ये हिल भी नहीं पाता है....

तुम पर और कितने दिन बोझ बन पाता....


सुनो ना,

सच में जुबान जो बकवास करती थी,

कोई दिमागी खेल ना था इसके,

बस दिल ना बावला बन चुका है,

कुछ - न - कुछ जुबान से मनवाता वो अपनी...


सुनो ना,

इब तुम ही कहो.. 

कैसे इश्क कर पाता वो तुमसे,

जो इश्क में खून के आँसू रोया है हरपल,

फिर भी वो तुमसे मिल के, तुमसा ही हो जाता था...


सुनो ना,

यह बस इक इत्तेफाक था,

तुम इसे किसी मोड़ पर मिले,

जीना चाहता था फिर से ये,

 पर ये जी भी कैसे सकता था...


सुनो ना.....अच्छा ही हुआ....

तुम इसे ठोकर मार गए....

अधमरा ही रहने दो इसे...

शायद यही सजा ही इसकी....

सुनो ना.......


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