सुनो माँ मेरी एक पुकार
सुनो माँ मेरी एक पुकार
मुझे आंगन में मत ढूँढना माँ
नहीं मिलूंगा तुम को मैं वहाँ
हाँ मिट्टी को यदि छू लो कभी
मिलेंगे तुम्हें उसमे मेरे कण सभी
गर कभी हों तुम्हारी पलकें नम
वादा करो माँ ना करोगी तुम ग़म
मैं तुमसे तनिक भी दूर नहीं गया
हमेशा के लिए तुम्हारे आँचल में हूँ समा गया
तुमसे जी जन्मा मैं, तुम में ही आ मिला हूँ
सच कहता हूँ माँ, अनंत हर्ष से जा मिला हूँ
यहाँ हर ओर बस है तेरी ही छाया माँ
ओढ़े हुए है मेरा रोम रोम बस तेरी ही काया माँ
सुन कर अपने भारत की पुकार
हो गया मैं लड़ने को तैयार
खूब लड़ा माँ मैं श्वास के अंतिम कतरे तक
गूँज उठी मेरी वीरता धरती से आकाश तक
मेरी कहानी कहने हवाएँ आती रहेगी माँ
तुम महसूस मुझे करके सम्मानित हो उठना
मैं जीवित हूँ तुम्हारे हृदय में माँ
धड़कन की तरह हूँ तुझ में समाया
मैं जीवित हूँ तुम्हारी पलकों में माँ
रौशनी की तरह हूँ उनमें समाया