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Sharda Kanoria

Inspirational

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Sharda Kanoria

Inspirational

वसुंधरा

वसुंधरा

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वसुंधरा तुम मातृ स्वरूपा

हाथ मानवता का थामें, 

भूल कर अपने बेगाने।

कोई पंथी पथ ना भटके, इसलिए बांह फैलाये।

सहेजे अपने अंक में,

वसुंधरा समझे सबको अपने।

वसुंधरा तुम मातृ स्वरूपा....


वसुंधरा यहां सभी, 

तेरी औलाद है,

हर पौरुष मन शिव सा, 

तो स्त्री पार्वती सी।

हर कोई जीता यहां, 

उन्माद और उल्लास से

वसुंधरा तुम मातृ स्वरूपा...


धूप की हल्की चुभन हो,

या हो हवाओं की छुअन 

खूबसूरती का निर्माण हो,

या प्रलय का कोई चरण।

तुम सदा अडिग रह

बनती रक्षक हरदम।

वसुंधरा तुम मातृ स्वरूपा....


मुलाकात होगी धरा तुमसे, 

उन पर्वत श्रृंखलाओं पर।

मिलेंगे कभी युं ही,

बांस के उन पुलों पर।

या होगी झरनों के, 

खूबसूरत किनारों पर।

वसुंधरा तुम मातृ स्वरूपा....

 

हम घूमेंगे शहर में, 

डामर की टूटी सड़कों पर। 

चलेंगे बतियाते,

गांव की चौपालों पर।

गुनगुनी दोपहर हो, 

या अंधियारी रातें।

बचायेगी हमें,

अदृश्य वो सुहानी हवायें 

वसुंधरा तुम मातृ स्वरूपा....


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