इंसान ही भगवान रूप है
इंसान ही भगवान रूप है
है खेल बड़ा निराला
सबको उसी ने पाला
है दुनिया का रखवाला
बड़ा मज़ेदार है ऊपरवाला
सीमाओं से परे
असंख्य पिण्डों के
समूह तक
उसका हीं पहुंच है
वह दर्शन है
दिव्यास्त्र है
चराचर में व्याप्त है।
वही प्रकाश आभाष
विभाष है।
वही आदि में अनादि में।
वही शुरुआत है
अंत भी वही है।
वही गलत वही सही है।
फिर काहे का खाता
कहे की बही है।
जो सही है वो सही है।
आफ़त शामत लानत
खुशी गम शरारत
सबमें एक सूक्ष्म ज्ञान है
गौर से देखी अपने में हीं
बैठा कोई भगवान है।
वही दर्शन ज्ञान है।
जो समझ गया अपने आप को
वही तो महान है।
यत्र तत्र सर्वत्र
जो भी इंसान है
वही तो भगवन है।
हर इंसान में भगवान है।
हर अच्छा इंसान हीं
भगवान है।
जी देश दुनियां की शान है।
अच्छाई हीं आदमी की
पहचान है।
जी बन गए बुरा तो
सर्वत्र श्मशान हीं श्मशान है।
आदमी हीं महान है।
उसके नेक काम हीं भगवान है।
आदमी में हीं बैठा वह परम पिता
परमेश्वर जो बनाता सबको
महान है।
आदमी में ही भगवान है।
आदमी में हीं भगवान है।