अखँड भारत का मंत्र
अखँड भारत का मंत्र
राष्ट्रोत्थान हेतु एकता परमावश्यक
बनाना है अखंड गर देश का भवन तो,
खंड खंड धर्म को नकार दो।
एक ही हो ईश और एक ही हो विचार,
एकता का मंत्र मन में धार लो।।
ईश तो है एक, पर नाम है अनेक,
एक मूर्ति में सब नाम उतार लो।
एक ही आचार विचार एक अभिवादन यार,
एकता का विश्व में प्रचार हो ।।
मंदिरों में ना कैद कर केवल राम को तुम,
राम को चरित्र में उतार लो ।
योगीराज कृष्ण के गीता में लिखे श्लोक,
अपने हृदय पटल पर धार लो।।
नारी न केवल भोग्या न सौंदर्य प्रतिमा,
नारी को सीता सी सँवार दो।
अपाला, घोषा, गार्गी की विद्वता से आज तुम,
नारी चरित्र को तेज धार दो ।।