आओ... ज़रा देख़ लो...!
आओ... ज़रा देख़ लो...!
अपने देश की है सबसे अनोखी शान देख लो :
सबसे जुदा दुनिया में इसकी पहचान देख लो!
संत कबीर में राम देख लो या रहमान देख लो:
इंसानियत ओढ़े रहते हैं सारे इंसान देख लो !
मिलजुलकर रहते यहां हर धर्म,जाति के लोग:
एक दूसरे के दिल में रहते बनके जां देख लो !
मिलती है यहां एक माँ की हमेशा सबको दुआ़ :
पिता की तरफ से मिलती है नसीहत देख लो !
इक घर में पाठ गीता का तो दूजे में कुरान का:
कहीं बाइबिल है तो कहीं ग्रंथ साहब हैं देख़ लो!
मेहमानों का करते हैं सब ख़ूब मान सम्मान :
ख़ुश होके स्वागत करते हैं मेज़बान देख लो !
बहती है गंगा प्यार की इस धरती पर सदा :
झगड़े का कुछ यहां नहीं नामों निशान देख लो!