"सुहानी हवा"
"सुहानी हवा"
ऐ लहराती सुहानी हवा,
तू ही कुछ बता।
क्या राज है तुझमे छुपा,
सुबह-सुबह उठकर
आ जाती हूं छत में सदा।
एक दिन भी
ऐसा गुजरता नहीं,
की ना लूँ में
कोयल की कूह कूह
चहेकती चिड़िया की गूंज
और पेड़ - पौधों की
सरसराहट का मज़ा।
छूकर जब भी तुम मेरे
पास से होकर गुजरती हो
लगता है जैसे पा रही मैं
तब मीठी-मीठी
खुशियों भरे एहसासों की सजा।
ऐ मेरी लहराती सुहानी हवा
अब तू ही कुछ बता।