सत्य स्वीकार का है
सत्य स्वीकार का है
रुप श्रृंगार का है, झूठ प्यार का है।
हम जानते हैं, सत्य स्वीकार का है॥
सहसा ही जीवन में उथल पुथल हो जाती है ,
जिंदगी अपना ढंग हालात पर बदल जाती है।
ऐसा नहीं कि अपने वादे से फिर गया हूं,
बस यूं ही कुछ समझ हालात से गिर गया हूं।