सत्य सदा पिसता रहा
सत्य सदा पिसता रहा
सत्य सदा पिसता रहा, असत्य चक्की बीच।
झूठे इस संसार में, होते ही हैं नीच।।
सत्य सदा कड़वा हुआ, कटुक निबोरी जान।
परेशान यदि सत्य हो, अपराजित मत मान।।
असत्य मीठा हो भले, नहीं सत्य का ज्ञान।
सत्य यदि जाना नहीं, समझो मूर्ख महान।।
सत्य सदा ही बोलना, सत्य सभी पहचान।
असत्य से मुंह मोड़ ले ,सत्य न हों अंजान।।
सत्य बोलना सभी से, करें असत का त्याग ।
सत्य सदा पिसता रहा, मोती चुनते काग।।
सत्य सदा पिसता रहा, देखें जब इतिहास।
माॅंझी सब पागल हुए,किससे हो अब आस।।
शासन तो सबने किए, हुए न सत्ता दास।
सत्य सदा संभव रहा, होता रहा विकास।
सत्य सदा पिसता रहा, मिला देर से न्याय।
मिथ्या का चलता रहा, अनुशासित अध्याय।
***दीपनारायण झा'दीपक'***
🌻🌻देवघर झारखंड 🌻🌻