Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

स्त्री

स्त्री

1 min
462


स्त्री सिर्फ तब तक

तुम्हारी होती है

जब तक वो तुमसे

रूठ लेती है,


लड़ लेती है

आंसू बहा बहाकर

और दे देती है

दो चार उलाहना तुम्हें।


कह देती है

जो मन में आता है उसके

बिना सोचे, बेधड़क

लेकिन जब वो देख लेती है

उसके रूठने का,


उसके आंसुओं का

कोई फर्क नहीं है तो

एकाएक वो

रूठना छोड़ देती है

रोना छोड़ देती है।


मुस्कुरा कर देने लगती है

जवाब तुम्हारी बातों पर,

समेट लेती है वो खुद को

किसी कछुए की तरह

अपने ही कवच में,

और तुम समझ लेते हो

कि सब कुछ ठीक हो गया है।


तुम जान ही नहीं पाते

कि ये शांत नहीं है

मृतप्राय हो चुकी है,

कहीं न कहीं

गला घोंट दिया है,


उसने अपनी भावनाओं का

और अब जो तुम्हारे पास है,

वो तुम्हारी होकर भी

तुम्हारी नहीं है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract