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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

सरपंच और पंच की खोज

सरपंच और पंच की खोज

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जारी सरपंच और पंच की खोज है,

ग्रामीण की भारी -भरकम फ़ौज हैं ।


बंटने लगी खूब शराब की पेटियां,

पीने वाले हुए हैं दारू की मौज हैं ।


गली-गली में हो रही चहलकदमी,

बन-बन टोलियाँ निकलती रोज हैं ।


कन्नी काटने लगे जिनसे बिगड़ी है,

हाथ-पैर जोड़ मनावन की होड़ हैं ।


हाथी दांत दिखाने-खाने के और हैं,

मुख पर सेवा मन में भरा लोभ है ।


चौपाल में बैठ सर्वसम्मति बनाते हैं,

बैठने को तैयार नहीं चुनावी दौड़ है ।


हो गए मुंह मोटे बिगड़े है भाईचारे,

घर-घर में जन चौधर के सिरमौर हैं ।


अपनी-अपनी डफ़ली अपना राग है,

कई फुकरों की निकालनी मरोड़ है ।


मनसीरत भी चुनावी रंग में रंग गया,

हार-जीत के बिठाता नित्य जोड़ है ।



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