सर्द रातें
सर्द रातें
माइनस डिग्रीज में भी..
साथ पूरे जोशो-खरोश के..
निभाते अपना कर्तव्य हैं..
देश के कर्तव्य निष्ठ जवान..
क्या उन्हें नहीं सालती होंगी सर्द रातें..??
तन अमीर का हो या एक ग़रीब का..
होती चमड़ी दोनों की एक है..
कोई सोता है नर्म बिस्तर और रजाई में..
वहीं किसी को चादर भी होती न नसीब है..
क्या उन्हें नहीं सालती होंगी सर्द रातें..??
पशु हो या पक्षी सभी में प्राण हैं बसते..
समय पर भूख प्यास दोनों ही हैं लगते..
हमारी तरह ही वे भी हैं जागते और सोते..
सर्दियों की रात न कोई बिछौना न ही घर बार.
क्या उन्हें नहीं सालती होंगी सर्द रातें..??
मन में ऐसे ही प्रश्न उठते हैं कई बार..
जिनका ढूंढे नहीं मिलता है कोई जवाब..
समय और परिस्थिति सभी प्राणियों को..
शायद ढाल लेती है रूप में अपने इसलिए..
मायने नहीं रखते होगें.. हो गर्म या सर्द रातें..!!