छुपा सपना
छुपा सपना
छुप जाता है सपना हमारा..
परिजनों के सपनों के पीछे कहीं..
जिनके सपनों की होती है लंबी कतारें..
हमारी ओर तकतीं.. उनकी आस भरी नज़रें..
सश्रम उन्हें कुछ हद तक पूर्ण करते-करते..
हम भूल जाते हैं.. हमारा भी था सपना कोई..
जो छुपा बैठा है.. हमारे ही अंतस में कहीं..
वक्त बीत जाता है.. उम्र बीत जाती है..
सपना...रह जाता है सपना ही और..
ढल जाती है हमारी ज़िन्दगी की.. शाम कहीं..!!
