क्या ले आऊँ
क्या ले आऊँ
कहो ना इनमें से क्या ले आऊँ..??
इस भीषण गर्मी में बारिश का पैग़ाम ले आऊँ.. या फ़िर.. घटा घनघोर ही ले आऊँ..
दो जोड़ी तकती आँखों की आस ले आऊँ या फ़िर.. उनके आँसू पोंछने का रुमाल ही ले आऊँ..
किसी ग़रीब के चूल्हा जलाने का सामान ले आऊँ या फ़िर.. कम से कम उसे एक वक़्त का खाना ही पहुँचा आऊँ..
जिनके पास वक़्त नहीं.. अपने अपनों के लिए.. उनके लिए वक़्त खरीद लाऊँ या फिर.. उन्हें भूलने की दवा ले आऊँ..
इंसानियत.. भाईचारा.. जो कहीं बिकता हो कहीं पर.. उसे ख़रीद लाऊँ या फ़िर.. इसे भूल चुके लोगों की.. यादें लौटा लाऊँ..
कहो ना क्या ले आऊँ...??