सपनों की उड़ान
सपनों की उड़ान
बंद लिफाफे सी
हुई जिन्दगी
हँसे तो
कैसे हँसे
गाँठ मन की
खोले कैसे
दरीचे भी बंद हैं
गलियारों के
नन्हे कदम
कैद हैं
दीवारों के अंदर
बता भी दो
क्या करें अब
पर कुछ तो
करना होगा
उन नन्हे कदमों
की खातिर
मन की गाँठ
मन में न रहे
उनके खातिर
लिफाफा खोलना
ही होगा
जिंदगी तभी हँसेगी
हाँ तभी
सपना की
सपनों की उड़ान
पूरी होगी ।
